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Anil Agarwal: मां ने मुश्किलों से पाला, खाली जेब बिहार से आए थे मुंबई, आज करते हैं अरबों का दान

दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत के शिखर को छू लेने वाले शख्स का नाम आज सब जानते हैं लेकिन उस शिखर तक पहुंचने के लिए पर्वतारोही ने कितनी चोटें खाईं इसकी कहानी कोई नहीं जानता. कामयाबी के शिखर पर पहुंचने वाला भी अपने साथ बुरे अनुभव और संघर्ष की ऐसी ही कई चोटें लेकर चलता है.

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वेदांता रिसोर्सेज के चेयरमैन अनिल अग्रवाल भी ऐसे ही सफल लोगों में हैं जिनकी सफलता की कहानी उन्होंने अपने सघर्षों और मुश्किलों के दम पर लिखी है.

सपने लेकर आए थे बिहार से मुंबई

Anil Agarwal - Vedanta Group Chairman

कहते हैं 67 वर्षीय अनिल अग्रवाल की पढ़ाई 15 साल की उम्र में ही छूट गई थी. इसके बाद 19 साल की उम्र में वह जब बिहार से मुंबई के लिए रवाना हुए तो उनके पास एक टिफिन बॉक्स, उनका बिस्तर और उनकी आंखों में कुछ करने गुजरने का सपना भर था.

न जेब में पैसे थे, न कोई ऐसा हाथ था जो मुंबई जैसे कुएं में उन्हें डूबने से बचा सकता. लेकिन उन्हें मुंबई में डूबना ही तो था, इसमें डूब कर खुद पर इस जादुई नगरी का रंग चढ़ाना था. उन्होंने तय कर लिया था कि कुछ भी हो जाए वो लौटेंगे नहीं.

मुंबई को देखकर खा गए चक्कर

Anil Agarwal - Vedanta Group Chairman | BCCL

मुंबई में अपनी किस्मत आजमाने के लिए आने वाले लाखों लोगों में से एक अनिल अग्रवाल भी थे.

मुंबई पहुंचते ही अनिल अग्रवाल की आंखें चौंधिया गई थीं. उन्होंने सड़कों पर बेलगाम दौड़ रही काली पीली टैक्सियां देखीं, ज़िंदगी में पहली बार डबल-डेकर देखी. ये सब वो पहली बार अपनी आंखों से देख रहे थे. इससे पहले जो देखा था सो फिल्मों में ही.

छोटी दुकान से अरबों का साम्राज्य

Anil Agarwal - Vedanta Board Chairman | Forbes

बिहार से मुंबई आए अनिल अग्रवाल ने एक छोटी सी दुकान से अपना करियर की शुरुआत की.

धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए उन्होंने भोईवाड़ा के मेटल मार्केट में 8x9 फुट का ऑफिस किराये पर लिया. यहां उन्होंने मेटल का कबाड़ बेचना शुरू किया. आज उनकी वो छोटी सी दुकान से शुरू हुए कारोबार का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1.41 लाख करोड़ रुपये है. ग्लोबल बन चुकी अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता भारत के अलावा अफ्रीका, आयरलैंड और अस्ट्रेलिया समेत में कारोबार कर रही है.

इस कंपनी में 65,000 से ज्यादा वर्कर्स काम कर रहे हैं.

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फोर्ब्स के अनुसार, वर्तमान में अनिल अग्रवाल की अनुमानित संपत्ति 3.6 बिलियन डॉलर है.

मां के संघर्षों को रखा है याद

अनिल अग्रवाल की जवानी ही नहीं बल्कि उनका बचपन भी संघर्षपूर्ण रहा. उन्होंने अपनी मां के बलिदान और त्याग की कहानी लोगों के साथ साझा करते हुए कहा कि उनके बचपन को उनकी मां के बलिदान ने सींचा और उन्हें उनके सपने पूरे करने का मौका दिया.

एक समय था जब उनकी मां को 4 बच्चों का पेट भरने के लिए महज 400 रुपये मिलते थे. ऐसे में उनकी मां को अपनी भूख की चिंता नहीं रहती थी, वे बस चाहती थीं कि उनके बच्चों का पेट भर जाए.

अनिल अग्रवाल खुद को इस बात के लिए भाग्यशाली मानते हैं कि वह आज भी अपनी मां के साथ रहते हैं और वह उन्हें हर रोज प्रेरणा देती हैं. बता दें कि दान देने के लिए हर समय तैयार रहने वाले अनुल अग्रवाल ने कोरोना काल में भी लोगों की मदद के लिए 150 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि दान की थी.